क्राई मुम्बई व पथ प्रदर्शक संस्था की पहल पर 41 लड़के-लड़कियों की घर वापसी
सीतापुर ब्लॉक के 14 गांवों की 18 लड़कियों की आज भी चल रही तलाश
59 बच्चियों की वर्ष 2004 से 2023 के बीच दलालों ने की तस्करी
गिरिजा कुमार ठाकुर
अंबिकापुर। सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड अंतर्गत विभिन्न ग्रामों से लड़के-लड़कियों की बड़े पैमाने पर तस्करी हुई है। इनका सौदा एक से डेढ़ लाख रुपये में करने की बातें कुछ दलालों के पकड़ में आने के बाद सामने आई हैं। सात से 20 साल की अधिकतर लड़कियों को या तो किसी फैक्ट्री के हवाले कर दिया गया या घरेलू काम करने के लिए छोड़कर दलाल चले गए। इसके बाद इनके बंधक बनकर रहने की स्थिति बन गई। नजरबंद जैसे हालात में किसी ने महीनों तो किसी ने दो से तीन वर्ष गुजारे। किसी से बात करने तक की इन्हें आजादी नहीं थी। अधिकतर लड़कियां कम उम्र में ही मारपीट, दुष्कर्म का भी शिकार हुईं। मन भरने के बाद देह व्यापार के अड्डे तक पहुंचा दी गई लड़कियां भी रेस्क्यू में बरामद हुई हंै। काम के एवज में इन्हें व इनके परिवार के सदस्यों को भले ही फूटी कौड़ी न मिली हो, लेकिन दलाल मालामाल होते गए।
सीतापुर विकासखंड के लगभग 30 गांवों से 59 बच्चियों के तस्करी का मामला अब तक सामने आया है। इनमें से 41 बच्चियों को रेस्क्यू करके लाया गया है। कुछ माह पूर्व चार बच्चों को श्रीनगर कश्मीर से रेस्क्यू करके लाया गया। 18 बच्चियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। काम की जगह शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना, शोषण का शिकार हुई लड़कियों की स्थिति यह है कि पुरानी बात कुरेदने पर वे सिहर उठती हंै। बालिग अवस्था में पहुंच चुकी लड़कियों का बमुश्किल विवाह स्वजन करा पाए हैं। लड़के-लड़कियों की वापसी में वर्ष 2016 में क्राई मुंबई के सहयोग से क्षेत्र में कार्य कर रही पथ प्रदर्शक संस्था का अहम रोल रहा। जिन गांवों तक संस्था ने अपनी पैठ बनाई है वहां से दलालों की घुसपैठ खत्म हुई है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों से लड़कियों के जाने का सिलसिला जारी है। गरीब परिवार की बच्चियां लंबे समय से दलालों के टारगेट में रहीं। इस कार्य में गांव के लोगों की सहभागिता भी रही, जो चंद रुपये के प्रलोभन में अपने ही गांव, घर की बेटियों को दलालों के हवाले करते आए हैं। पूर्व में पुलिस व प्रशासन भी मानव व बच्चों की तस्करी को गंभीरता से नहीं लिया। इससे दलाल बेरोकटोक गांव तक पहुंचते रहे। पहले तो युवा-युवतियां ही महानगरों की चकाचैंध में गुम होते थे, बाद में कम उम्र के बच्चे दलालों के टारगेट में आ गए। इसके पीछे कारण कम उम्र के बच्चों के एवज में अच्छा-खासा कमीशन व सीधी कमाई होना है। पहले कम पढ़े-लिखे परिवारों को दलाल सब्जबाग दिखा झांसे में लेते हैं। बात नहीं बनने पर चोरी-छिपे बच्चियों को बहलाकर भगा ले जाते हैं। सीतापुर क्षेत्र की लड़कियों की तस्करी में ज्यादातर जशपुर, कुनकुरी और बगीचा बार्डर के आसपास के ग्रामीण दलालों की संलिप्तता सामने आई है। रेस्क्यू में वापस लौटी अधिकांश लड़कियां दैहिक, मानसिक शोषण का शिकार हुई हैं।
दिल्ली से बरामद हुई सर्वाधिक लड़कियां
सीतापुर विकासखंड से गायब हुई 59 बच्चियों में 41 की गांव, घर वापसी का माध्यम पुलिस के साथ ही पथ प्रदर्शक संस्था बना है। दिल्ली से 17, हरियाणा से 02, बिहार से 01, गोवा से 01, मुंबई से 01, उत्तर प्रदेश से 01, रायगढ़ से 01 और अक्टूबर 2023 में 04 बच्चों को श्रीनगर (कश्मीर) से रेस्क्यू करके वापस लाया गया है। 13 लड़कियों को दलाल कहीं बेचने में सफल हो पाते, इसके पहले रेस्क्यू करके इन्हें कब्जे में ले लिया गया। रायगढ़ से 04, चांपा से 01, जशपुर से 01, सीतापुर से 04, कुनकुरी से 02 और मैनपाठ से 01 बच्चे का सूचना मिलने के साथ रेस्क्यू किया गया। इससे महानगरों की चकाचैंध के बीच जिल्लत भरी जिंदगी गुजारने से ये बच्चे बच गए। 18 लड़कियों का पता नहीं चल पाया है। इनकी तलाश निरंतर जारी है।
मन की अकाट्य पीड़ा से इन्हें उबार रही नीमा
मन में अकाट्य पीड़ा लेकर महानगरों से वापस आए लड़के-लड़कियों का हमदर्द बने पथ प्रदर्शक संस्था के साथ समन्वय बनाकर मैदानी क्षेत्र में कार्य कर रहे अनिल कुमार, नीमा बेक सहित अन्य ने न सिर्फ इनके दर्द को बांटा बल्कि उनके मन की पीड़ा को निकालने का प्रयास किया। नीमा बताती है कि रेस्क्यू करके लाई गई कुल 41 लड़कियों में 18 बालिग अवस्था में पहुंच गई थीं। वहां से आने के बाद कुछ लड़कियों की स्थिति ऐसी थी कि वे कब मानसिक संतुलन खो बैठेंगी कहना मुश्किल था। कुछ लड़कियां तो जिस्म के बाजार में धकेल दी गई थीं। सिगरेट तक से दागा गया। इनके अंतर्मन की पीड़ा को निकालने हरसंभव कोशिश उन्होंने की। 06 लड़कियों को पथ प्रदर्शक संस्था द्वारा क्राई के सहयोग से संचालित सिलाई सेन्टर में प्रशिक्षण दिलाया है। ये लड़कियां आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं। अपने घर में सिलाई का काम करके वे जीवन बसर कर रही हैं। 07 लड़कियों का रेस्क्यू के बाद स्कूल में नामांकन कराया गया है। 10 लड़कियां अपने घरों में सुरक्षित हंै।
क्रेताओं के हाथ की कठपुतली बनकर रह गई लड़कियां-सुशील सिंह
पथ प्रदर्शक संस्था के सुशील सिंह ने बताया कि सीतापुर क्षेत्र में सर्वे करने पर जानकारी मिली कि 55 दलाल ऐसे थे जो प्रति वर्ष 2 या 3 नाबालिक लड़कियों को गांव से बहला-फुसलाकर बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, श्रीनगर, गोवा, हरियाणा में ले जाकर बेच देते थे। इसके बाद ये क्रेताओं के हाथ की कठपुतली बन जाती थीं। उन्होंने बताया अभी तक पथ प्रदर्शक संस्था के माध्यम से कुल 39 दलालों को बच्चों को बेचने के काम से पृथक किया गया है। पांच दलालों को पुलिस की मदद से जेल भेजा गया और 34 दलालों को गांव स्तर पर बैठक करके समझाइश दी गई कि वे अपने गांव, घर की इज्जत का ध्यान रखें। सुशील बताते हैं कि वर्तमान में 16 दलाल बच्चों को बाहर ले जाकर बेचने के काम में लगे हैं, इन्हें भी समझाइश के साथ गांव की लड़कियों को बाहर नहीं भेजने की हिदायत विभिन्न माध्यमों से मिली है।