शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में तम्बाकू फ्री यूथ कैम्पेन 2.0 टाईफाई का आयोजन
अंबिकापुर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पीएस मार्को के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य स्तरीय सहयोगी टीम वाइटल स्ट्रेटेजिस द्वारा संचालित ब्लूमबर्ग परियोजना छ.ग. के द्वारा बुधवार को राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीपीसी) के तहत राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में तम्बाकू फ्री यूथ कैम्पेन 2.0 (टाईफाई) आयोजित किया गया। भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अवगत कराया गया है कि वैश्विक व्यवस्क तम्बाकू सर्वेक्षण वर्ष 2016-17 (जीएटीएस) के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य की 39.1 प्रतिशत आबादी तंबाकू अथवा तंबाकू उत्पादों का सेवन करती है। वैश्विक युवा तम्बाकू सर्वेक्षण 2019 (जीवाईटएस) के अनुसार राज्य के 13 से 15 वर्ष के 8 प्रतिशत शाला प्रवेशी बच्चे भी तम्बाकू के लत की चपेट में आ चुके हंै। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रदेष में तम्बाकू फ्री यूथ कैम्पेन 2.0 (टाईफाई) 24 सितम्बर 2024 से आयोजित किया जा रहा है।
नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता के मार्गदर्शन में अभियान के तहत ब्लूमबर्ग के संभागीय सलाहकार प्रकाश श्रीवास्तव ने मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट को पावर प्वाइंट के माध्यम से तम्बाकू के दुष्परिणाम के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कई मरीज इसे छोड़ना तो चाहते हैं, किन्तु उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण छोड़ना संभव नहीं हो पाता। चिकित्सकीय क्षेत्र में आप सभी का सहयोग बेहद आवश्यक है, आमजन किसी भी दिन अपनी नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर तम्बाकू छोड़ने एवं उससे छोड़ने हेतु उपयोग में आने वाली दवाइयों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दृढ़संकल्प लेकर भी तम्बाकू जैसे सेवन को दूर करना संभव है। तम्बाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणाम निकट भविष्य में तंबाकू के सेवन होने वाले बिमारी श्वसन तंत्र के कैंसर, फेफड़े, संपूर्ण ऊपरी जठरांत्र संबंधी, यकृत (लीवर), अग्न्याशय, गुर्दा, मूत्राशय, मौखिक कैविटी, नाक कैविटी (गुहा), गर्भाशय ग्रीवा आदि से समस्याओं से जुड़ा होता हैं। धुंआ रहित तंबाकू मुख कैंसर का प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति में नशे की अन्य आदतों वाले पदार्थों द्वारा गतिविधियों में सहनशीलता विकसित होती हैं। तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करें, तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति को कम करना, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन और आपूर्ति और वितरण का निषेध) अधिनियम, 2003 तम्बाकू फ्री यूथ कैम्पेन 2.0 (कोटपा)के तहत प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित कराना है। तंबाकू का सेवन छोड़ने में लोगों की मदद करें।
स्ट्रोक व हृदयाघात की बढ़ती है आशंका
भारत में तम्बाकू नियंत्रण कानून (कोटपा 2003) को लागू करने के लिए वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीपीसी) की शुरुआत की गई और तम्बाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जनसामान्य में अधिक से अधिक जागरूकता लाया जा सके, किसी भी रूप में धूम्रपान करने वाले एक साथ 30 ऐसे रसायन ले रहे होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। इसके अलावा स्ट्रोक व हृदयाघात की आशंका भी बढ़ जाती है। तंबाकू शरीर के लिए धीमा जहर है। धीरे-धीरे व्यक्ति इसका आदी हो जाता है। उसके बाद चाहते हुए भी इस लत से छुटकारा पाने में दिक्कत होती है। कार्यक्रम में एनॉटोमी विभाग से डॉ. पे्रमानंद अग्रवाल, राज्य कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शैलेन्द्र मिश्रा, कमल नारायण, शेखर राव, मनोज एवं प्रशांत कश्यप तथा मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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