अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र राजपुर इलाके का कारोबारी विनोद अग्रवाल उर्फ़ मग्गू सेठ लंबे समय से विवादों और गंभीर आरोपों से घिरा रहा है। ज़मीन कब्ज़ा, पुलिस-राजनीतिक गठजोड़, आदिवासियों को धमकाने और संगठित अपराध जैसे मामलों में उसका नाम सामने आता रहा है। इन्हीं सब कारणों से क्षेत्र में उसके खिलाफ गहरा असंतोष है। हाल ही में 7 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे बड़ा झटका देते हुए उसकी स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) खारिज कर दी, जिससे हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रहा।

लोवर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक हार

मग्गू सेठ की कानूनी लड़ाई निचली अदालत से शुरू होकर हाई कोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची, लेकिन हर स्तर पर उसे हार का सामना करना पड़ा। ट्रायल कोर्ट में उसकी दलीलें उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के सामने टिक नहीं पाईं। इसके बाद बिलासपुर हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और विशेष राहत देने से इनकार कर दिया। अंत में सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई कर उनकी एसएलपी खारिज कर दी।

मग्गू सेठ का आपराधिक इतिहास

विनोद अग्रवाल उर्फ़ मग्गू सेठ का आपराधिक इतिहास 2009 से 2024 तक फैला हुआ है। थाना राजपुर और चौकी बरियों में उसके खिलाफ कई प्रकरण दर्ज हैं। कई मामलों में एफआईआर हुई, लेकिन वह और उसका भाई प्रवीण अग्रवाल लंबे समय तक फरार रहे। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने लोअर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक अग्रिम जमानत की गुहार लगाई, मगर हर जगह नाकाम रहा। अंततः दबाव बढ़ने पर उसे अदालत में सरेंडर करना पड़ा।

इसी बीच क्रशर हत्याकांड और कोरवा आत्महत्या जैसे संगीन मामलों ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दीं। हाल ही में भैराराम पहाड़ी कोरवा (राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र) की सामुदायिक ज़मीन को धोखाधड़ी से हड़पने के आरोप लगे। लगातार प्रताड़ना से तंग आकर भैराराम ने 22 अप्रैल 2025 को आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर फैला दी और सर्व आदिवासी समाज व सरगुजा बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध तेज़ हो गया।

मग्गू सेठ पर दर्ज प्रमुख मामले

– क्रशर हत्याकांड (मार्च 2022): संलिप्तता और जांच में बाधा डालने के आरोप।

– पहाड़ी कोरवा शिकायत (नवंबर 2024): फर्जी रजिस्ट्री और 14 लाख रुपये के चेक के जरिए धोखाधड़ी।

– थाना राजपुर: अपराध क्रमांक 48/09 (मारपीट, बलवा), 133/15 (अपहरण), 40/16, 120/16, 07/17 (SC/ST उत्पीड़न) और अन्य।

– चौकी बरियों: अपराध क्रमांक 07/120 (बलवा), 32/18, 34/21 (लापरवाही से मृत्यु), 85/21 (बंधक बनाना) आदि।

जिलाबदर क्यों नहीं?

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर आम व्यक्ति पर इतने गंभीर मामले दर्ज होते तो उसे ज़िला बदर कर दिया जाता। मगर हैरानी की बात है कि मग्गू सेठ के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं हुई। लोगों को शक है कि वह पुलिस-प्रशासन को पैसे के बल पर बच निकलता है।

बेनामी संपत्तियों पर सवाल

कमला देवी, रीझन और नगेसिया के नाम से सिर्फ एक गांव में 23.54 हेक्टेयर ज़मीन खरीदी गई है। लोगों का कहना है कि जिले और प्रदेशभर में उसकी और भी संपत्तियां हैं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या राजस्व विभाग इन बेनामी संपत्तियों की जांच करेगा या फिर मामला दबा दिया जाएगा।

आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट से हार के बाद मग्गू सेठ के पास कानूनी विकल्प लगभग खत्म हो गए हैं। अब गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई का रास्ता साफ है। लेकिन लोग सवाल उठा रहे हैं कि पुलिस कार्रवाई कब करेगी और क्या राजस्व विभाग बेनामी संपत्तियों पर नकेल कसेगा।

संघर्ष समिति की चेतावनी

मग्गू सेठ के सरेंडर की खबर के बाद जनता का गुस्सा और बढ़ गया है। सरगुजा बचाओ संघर्ष समिति ने कहा है कि सिर्फ जेल भेजना पर्याप्त नहीं होगा। समिति ने मांग की है कि उसका सिर मुंडवाकर जुलूस निकाला जाए, ताकि यह सख्त संदेश जाए कि आदिवासियों और ग़रीबों के साथ अन्याय करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो सरगुजा संभाग में व्यापक जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।