अंबिकापुर। शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था अंबिकापुर में 23 अक्टूबर को जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत कार्यक्रम के अंतर्गत जनजातीय महापुरुषों के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी के तृतीय दिवस व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी कुलसचिव, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के मुख्य आतिथ्य मेंं किया गया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि जनजाति व्यंजन में मिलेट्स (कोदो, कुटकी, रागी) की प्रधानता थी। फाइबर व कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा सिंगल डिजिट में होती है जो बीमारियों को दूर करती है, जिससे हमारा शुगर और ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। उन्होंने अपने स्वयं के अनुभव को साझा किया और प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा बनाए गए राजी चिला, मडिया पेज, महुआ लाटा और सभी व्यंजनों की सराहना की, भविष्य में भी ऐसे ही मिलेट को अपने जीवन में प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दूसरे भाग के मुख्य अतिथि उपेंद्र सिंह ओरकरा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए माता राजमोहिनी देवी के जीवन पर प्रकाश डाला। उनके उपदेशों का अनुकरण करने के लिए प्रेरित किया और जनजातीय कलाकृतियों एवं ड्राइंग प्रतियोगिता का अवलोकन किया। कार्यक्रम के सहसंयोजक अनविल विमोन मिंज ने आभार व्यक्त किया। प्रतियोगिता में शासकीय महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था के प्रशिक्षणार्थी एवं प्राचार्य पूर्णिमा पटेल, अभिसारिका सिंह प्रशिक्षण अधिकारी, प्रभारी प्राचार्य राजेश सोनी, कार्यक्रम संयोजक श्रीमती संतोष त्रिपाठी एवं संस्था के समस्त अधिकारी-कर्मचारी एवं प्रशिक्षणार्थी शामिल रहे। जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत का आगामी कार्यक्रम 25 अक्टूबर को राजीव गांधी पीजी कॉलेज ऑडिटोरियम में होगा।
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