व्रतियों ने छठ गीत गाते बिताई रात, उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य
अंबिकापुर। लोक आस्था का महापर्व छठ जिला मुख्यालय अंबिकापुर सहित पूरे संभाग में भक्तिभाव के साथ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। छठ घाटों में इस दौरान मेले जैसा माहौल रहा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ घाट में उमड़ी। कई श्रद्धालु अलसुबह घर से दंडवत होते छठ घाट तक पहुंचे। इस दौरान इनके परिवार के लोग भी उपस्थित थे। मामूली ठंड के बीच छठ घाट पर पहुंचे व्रतियों ने नदी, तालाबों में उतरकर स्नान किया। इसके बाद पानी में ही खड़े होकर दोनों हाथ से प्रसाद से भरे सूप को पकड़कर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। परिवार के सदस्यों ने लोटा में पानी और दूध से व्रतियों को अर्घ्य दिलाया। इस दौरान आतिशी नजारा भी घाटों में देखने को मिला।
लोक आस्था के महापर्व छठ को मनाने व्रतियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है। व्रतियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए लगभग हर मोहल्ले में छठ घाट बनाए गए थे। शहर के प्रमुख शंकर घाट स्थित छठ घाट में प्रतिवर्ष काफी संख्या में व्रती पहुंचे। यहां महामाया छठ पूजा सेवा समिति द्वारा चार दिवसीय छठ पूजा के लिए भव्य तैयारियां की गई थी। इसी तरह शहर से लगे घुनघुट्टा नदी तट पर हजारों व्रतियों ने अर्घ्य दिया। इसके अलावा मैरीन ड्राइव तालाब, पैलेस छठ घाट, श्री राम घाट बिलासपुर रोड, जेल तालाब, खैरबार नहरपारा, शिवधारी तालाब सहित अन्य घाटों में अलसुबह से व्रती अपने परिवार के साथ पहुंचने लगे थे। सोमवार की शाम से ही महिलाएं छठी मइया का गीत गाते व पुरुष सिर में सूपा व दउरा रखकर नंगे पैर घाट पहुंचे। शाम को अर्घ्य देने के बाद कई छठ व्रती पूरी रात घाट पर ही डटे रहे। रात भर उत्साहपूर्ण माहौल में सभी घाटों में व्रतियों ने गुलाबी ठंड के बीच स्नान करके सूर्योदय होने का इंतजार किया। जैसे ही सूर्यदेव का दर्शन हुआ, चहुंओर छठ मैया की जयकार होने लगी। पटाखों की गूंज से घाट-तालाब गूंजने लगे। श्रद्धालुओं ने उगते भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। इसके साथ 36 घंटे के कठिन उपवास का समापन हुआ। छठ घाटों में सुरक्षा के मद्देनजर पुरी रात पुलिस मुस्तैद रही।

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